दोस्तों शेयर बाजार की दुनिया में हमेशा नए नए शब्द सुनने को मिलते रहते है। ऐसे में आपने भी कभी न कभी डिविडेंड का नाम जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते है की डिविडेंड क्या होता है और कोई कम्पनी डिविडेंड क्यों देती है। आज हम डिविडेंड के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
दोस्तों डिविडेंड भी शेयर मार्केट से पैसा कमाने का एक तरीका है। अगर आप डिविडेंड के बारे में जान जाते है तो आप सही शेयर में इन्वेस्ट करके एक्स्ट्रा रिटर्न कमा सकते है। दुनिया के महान इन्वेस्टर वॉरेन बफेट आज के समय में केवल डिविडेंड से ही अरबों रुपए कमाते है।
बहुत से इन्वेस्टर केवल डिविडेंड देने वाली कम्पनियों में पैसा लगाते है जिससे उनको रेगुलर इनकम होती रहती है। इसलिए डिविडेंड को समझना बहुत जरूरी है।
आज की इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको डिविडेंड से जुड़ी हर तरह की जानकारी देंगे। साथ ही यह भी बताएंगे की डिविडेंड कितने तरह का होता है और डिविडेंड पाने के लिए क्या क्या करना पड़ता है, और आप डिविडेंड देने वाली कम्पनियों को कैसे ढूंढ सकते है। इसके साथ ही डिविडेंड कंपनियों में इन्वेस्ट करने के फायदे और कमियों के बारे में भी बात करेंगे।
यदि आप भी इन सभी टॉपिक के बारे में जानना चाहते है तो इस ब्लॉग पोस्ट को ध्यान से और अंत तक पढ़े। आइए शुरू करते है-
डिविडेंड क्या होता है | What is Dividend In Hindi
दोस्तों शेयर मार्केट की सभी कंपनियां बिजनेस करती है, और बिजनेस करने से इनको प्रॉफिट होता है, तो कंपनियां अपने प्रॉफिट का कुछ हिस्सा अपने शेयर होल्डर को बांट देती है, इसे ही डिविडेंड कहा जाता है।
यह कोई जरूरी नहीं है की हर एक कम्पनी को डिविडेंड देना ही पड़ेगा, शेयर बाजार में बहुत सी कम्पनियां डिविडेंड नही देती है और जो प्रॉफिट होता है उसे वापस बिजनेस में इन्वेस्ट कर देती है ताकि कंपनी का बिजनेस आगे बढ़ सके।
कंपनी डिविडेंड क्यों देती है
दोस्तों अब आप सोच रहे होंगे की कोई कंपनी डिविडेंड क्यों देती है आखिर वो अपने प्रॉफिट का उपयोग बिजनेस को बढ़ाने में क्यों नहीं करती है। आइए इसके बारे में जानते है।
दोस्तों ऐसे कई कारण होते है जिसकी वजह से कम्पनियां डिविडेंड देती है। आइए कुछ मुख्य कारणों के बारे में जानते है-
1. बहुत सी कंपनियां नए इन्वेस्टर को आकर्षित करने के लिए डिविडेंड देती है। अगर कोई कंपनी रेगुलर तौर पर डिविडेंड दे रही है तो इसका मतलब है की वो हर बार अच्छा प्रॉफिट कमा रही है और उसका बिजनेस अच्छा चल रहा है। यह देखकर बड़े बड़े इन्वेस्टर कंपनी की और आकर्षित होते है जिससे उनके शेयर की डिमांड बढ़ती है।
2. बहुत सी बार कंपनी को बहुत ज्यादा प्रॉफिट हो जाता है और उसके पास उसे इन्वेस्ट करने और बिजनेस को आगे बढ़ाने का प्लान नहीं होता है तो वो इसे इधर उधर खर्च करने के बजाय अपने शेयर होल्डर में बांट देते है।
3. बहुत सी बार कंपनियां अपने शेयर होल्डर को धन्यवाद देना चाहती है। इसलिए वो अपने प्रॉफिट का कुछ हिस्सा शेयर होल्डर में डिविडेंड के रूप में बांट देते है। इस तरह कंपनियां अपने शेयर होल्डर का विश्वास जीतने के लिए भी डिविडेंड देती है।
4. शेयर मार्केट की कंपनियां जो प्रॉफिट कमाती है उन पर सरकारी टैक्स ज्यादा लगता है, वहीं डिविडेंड पर टैक्स कम लगता है। इस वजह से कंपनी अपने टैक्स को कम करने के लिए भी डिविडेंड दे देती है।
यहां बताए गए कारणों से आपको समझ आ गया होगा की कंपनी अपने प्रॉफिट को वापस इन्वेस्ट न करके डिविडेंड में क्यों बांट देती है। आइए अब आगे बढ़ते है।
डिविडेंड कैसे मिलता है
दोस्तों जैसा की हम आपको बता चुके है की किसी कंपनी के लिए डिविडेंड देना जरूरी नहीं है। यह फैसला कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर का होता है। वो कंपनी की फाइनेंशियल स्तिथि और भविष्य को ध्यान में रखते हुए फैसला करते है की उन्हे डिविडेंड देना है या नही देना है।
अगर वो डिविडेंड देना चाहते है तो कंपनी इसके बारे में एक प्रेस नोट जारी करती है और न्यूज पेपर में भी न्यूज देती है।
इसके बाद डिविडेंड की रिकॉर्ड डेट, Ex डेट और पेमेंट डेट की घोषणा होती है, यदि आप इसके लिए पात्र होते है तो आपको डिविडेंड मिल जाता है। यदि आपको इन डेट के बारे में नही पता है तो इस आर्टिकल में हम आगे बात करेंगे।
इस तरह डिविडेंड देने का प्रोसेस चलता है।
डिविडेंड कितने तरह का होता है
दोस्तों कंपनी अपने लाभ का छोटा सा हिस्सा अपने शेयर होल्डर में बांट देती है जिसे हम डिविडेंड बोलते है। कंपनी इस लाभ को अपने शेयर होल्डर में बांटने के लिए कई अलग अलग तरीकों का उपयोग करती है। इसलिए डिविडेंड भी अलग अलग तरीके का होता है। आइए इसके बारे में जानते है-
1. कैश डिविडेंड
इस तरीके में कम्पनी पैसे को सीधे ही आपके बैंक अकाउंट या डीमैट अकाउंट में जमा कर देती है। यह डिविडेंड देने का सबसे आसान तरीका है और अधिकतर कम्पनियां इसी तरीके का उपयोग करती है।
2. स्टोक डिविडेंड
इस तरीके में कम्पनी अपने शेयर होल्डर को पैसा न देकर उसके बदले में कम्पनी के नए शेयर देती है। इससे आपका पैसा बैंक अकाउंट में न आकर वापस कंपनी में इन्वेस्ट हो जाता है। कम्पनियों द्वारा इस तरीके का उपयोग कम किया जाता है।
3. प्रॉपर्टी डिविडेंड
इस तरीके में कम्पनी किसी प्रॉपर्टी और जमीन को अपने शेयर होल्डर में लाभ के रूप में बांटती है। लेकिन यह तरीका भारतीय शेयर बाजार में बहुत कम उपयोग किया जाता है क्योंकि प्रॉपर्टी का मामला एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है।
4. स्क्रीप डिविडेंड
दोस्तों जब किसी कम्पनी के पर्याप्त कैश नही होता है और वो अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देना चाहती है तो वो स्क्रिप डिविडेंड का सहारा लेती है। स्क्रिप डिविडेंड का मतलब होता है शेयरहोल्डर को डिस्काउंट रेट पर नए शेयर देना।
अगर कंपनी चाहती है की लोग अपना डिविडेंड का पैसा वापस कंपनी में इन्वेस्ट करे, इसके लिए वो स्क्रिप डिविडेंड देने का फैसला करते है।
इस तरीके में कम्पनी शेयर होल्डर्स को ऑप्शन देती है की या तो कैश में डिविडेंड ले लो या फिर स्क्रिप डिविडेंड ले लो जिसमे आपको कम्पनी के नए शेयर डिस्काउंट रेट पर दिए जायेंगे। इस तरह ज्यादातर लोग दूसरे ऑप्शन को चुनते है और लोगों का डिविडेंड का पैसा वापस कंपनी में इन्वेस्ट हो जाता है।
भारतीय शेयर बाजार में इस तरह के डिविडेंड का बहुत कम उपयोग किया जाता है।
5. लिक्विडेटिंग डिविडेंड
जब कोई कम्पनी अपने बिजनेस को बंद करती है तो वो शेयर होल्डर्स को लिक्विडेटिंग डिविडेंड देती है।
इस तरीके में कम्पनी अपने सभी प्रॉपर्टी, प्लांट और सामानों को बेचती है और सबका लोन और टैक्स चुकाती है और बचे हुए पैसे को शेयर होल्डर्स में बांट देती है। जिसे लिक्विडेटिंग डिविडेंड कहा जाता है।
हम आशा करते है की आपको डिविडेंड के सभी प्रकार समझ आ गए होंगे। भारत में ज्यादातर कंपनियां डिविडेंड देने के लिए कैश डिविडेंड तरीके का ही उपयोग करती है, जिसमे वो आपके प्रॉफिट को सीधे आपके बैंक अकाउंट में जमा कर देती है जो की सबसे सरल तरीका है।
डिविडेंड से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण शब्द
दोस्तों डिविडेंड एक बहुत बड़ा टॉपिक है और इसे अच्छे से समझने के लिए इसकी कुछ महत्वपूर्ण शब्दो के बारे में जानना बहुत ही जरूरी है। आइए कुछ महत्वपूर्ण परिभाषा जानते है-
1. डिविडेंड स्टॉक | Dividend Stock
दोस्तों जैसा की हम आपको बता चुके है की कंपनियों को डिविडेंड देना जरूरी नहीं है। यह फैसला कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर करते है लेकिन जो कंपनियां रेगुलर तौर पर अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देती है, उन्हे डिविडेंड स्टॉक कहा जाता है। डिविडेंड स्टॉक को कभी कभी इनकम स्टॉक भी कहा जाता है क्योंकि ये स्टॉक शेयर होल्डर्स को रेगुलर इनकम देते है।
2. डिविडेंड यील्ड | Dividend Yeild
डिविडेंड यील्ड से पता चलता है की कंपनी अपनी शेयर की कीमत के मुकाबले कितना डिविडेंड दे रही है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते है-
अगर किसी कम्पनी के शेयर की कीमत 100 रुपए है और वह 5 रुपए का डिविडेंड देती है तो उसकी डिविडेंड यील्ड 5% है। डिविडेंड यील्ड जितनी ज्यादा होती है तो शेयर होल्डर को उतना ही ज्यादा फायदा होता है।
3. डिविडेंड पेआउट रेश्यो | Dividend Payout Ratio
डिविडेंड पेआउट रेश्यो का मतलब होता है की कम्पनी अपने टोटल प्रॉफिट का कितना हिस्सा बांटना चाहती है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते है-
अगर किसी कंपनी को बिजनेस करते हुए 100 करोड़ रुपए का प्रॉफिट हुआ है और वो 50 करोड़ रुपए का डिविडेंड देने की घोषणा करती है तो उसका डिविडेंड पे आउट रेश्यो 50% का होगा। इसका मतलब है की कम्पनी अपने कुल प्रॉफिट का 50% हिस्सा डिविडेंड देना चाहती है।
4. इंटरिम डिविडेंड | Interim Dividend
जब कोई कंपनी साल के बीच में ही डिविडेंड दे देती है तो इसे इंटरिम डिविडेंड कहा जाता है। यह 4 महीने या 6 महीने में दिए जाते है।
5. फाइनल डिविडेंड | Final Dividend
जब कोई कंपनी साल के अंत में अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देती है तो इसे फाइनल डिविडेंड कहा जाता है। यह कम्पनी की एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) के बाद दिया जाता है।
6. डिविडेंड टैक्स | Dividend Tax
दोस्तों डिविडेंड पर लगने वाले टैक्स को डिविडेंड टैक्स कहा जाता है। अगर आपको डिविडेंड मिल रहा है तो यह भी एक तरह की इनकम ही होती है, और यह बात तो आप जानते ही है की भारत में इनकम टैक्स लगता है। इस तरह डिविडेंड की इनकम आपकी टोटल इनकम में जुड़ जाती है और आपको उस पर टैक्स देना पड़ता है।
अगर आपकी टोटल इनकम 5 लाख से ऊपर हो जाती है तो आपको उसी हिसाब से सरकार को इनकम टैक्स देना पड़ता है।
7. डिविडेंड रीइंवेस्टमेंट प्लान | Dividend reinvestment plans (DRIPs)
कुछ कंपनियों में ऐसा सिस्टम होता है जहां पर आप अपने डिविडेंड को वापस उसी कम्पनी के शेयर खरीदने में इन्वेस्ट कर सकते है। इसी तरीके को डिविडेंड रीइन्वेस्टमेंट प्लान (DRIP) कहा जाता है।
दोस्तों यह सभी परिभाषा और जानकारी आपको डिविडेंड के टॉपिक को आसानी से समझने में मदद करेगी। आइए अब आगे बढ़ते है।
डिविडेंड से जुडी महत्वपूर्ण तारीखें
दोस्तों शेयर बाजार में लाखों लोग रोजाना नई नई कंपनियों के शेयर खरीदते रहते है और बेचते रहते है। इससे कंपनी के शेयर होल्डर्स रोजाना बदलते रहते है तो इस बात का पता कैसे चलेगा की किस व्यक्ति को डिविडेंड देना है और किस को नही देना है।
इसके लिए डिविडेंड से जुड़ी हुई कुछ महत्वपूर्ण तारीखें है जिनके बारे में आपको जानकारी होना बहुत ही जरूरी है। तब जाकर ही आप पता लगा सकेंगे की आपको किसी कंपनी का डिविडेंड मिलेगा या नहीं मिलेगा। जब कोई कंपनी डिविडेंड देने की घोषणा करती है तो इन सभी डेट के बारे में भी बताती है। आइए इनके बारे में जानते है-
1. अनाउंसमेंट डेट | Announcement Date
यह वह तारीख होती है जिस दिन कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर डिविडेंड देने का फैसला करते है और इसकी घोषणा करते है। यह ज्यादा जरूरी डेट नहीं है।
2. रिकॉर्ड डेट | Record date
यह सबसे महत्वपूर्ण डेट होती है। रिकॉर्ड डेट वह डेट होती है जिस दिन कंपनी यह तय करती है की किस व्यक्ति को डिविडेंड देना है। यदि रिकॉर्ड डेट के दिन आपके डीमैट अकाउंट में कम्पनी के शेयर उपलब्ध है तो आपको डिविडेंड मिलेगा।
दोस्तों इस बात का ध्यान रखे की भले ही आपके पास सालों से किसी कम्पनी के शेयर पड़े हुए हो, लेकिन अगर रिकॉर्ड डेट के दिन आपके पास कंपनी के शेयर नही है तो आपको डिविडेंड नही दिया जाएगा।
3. एक्स डेट | Ex date
रिकॉर्ड डेट से 1 दिन पहले की तारीख को Ex डेट कहा जाता है। इसका मतलब होता है की यदि कोई व्यक्ति Ex डेट के बाद कंपनी के शेयर खरीदता है और शेयर होल्डर बनता है तो उसको डिविडेंड नही दिया जाएगा।
दोस्तों यह बहुत ही जरूरी डेट है। अगर आप किसी कंपनी से डिविडेंड पाना चाहते है तो आपको Ex डेट से पहले कंपनी के शेयर खरीदने पड़ेंगे तब जाकर ही आपको डिविडेंड मिलेगा।
4.पेमेंट डेट | Payment Date
पेमेंट डेट वह डेट होती है जिस दिन कंपनी डिविडेंड का पैसा शेयर होल्डर के खाते में जमा करती है या डिविडेंड का पेमेंट करती है।
दोस्तों यहां पर रिकार्ड डेट और Ex डेट सबसे जरूरी है, अगर आप किसी कंपनी से डिविडेंड कमाना चाहते है तो आपको इन दोनो डेट के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है।
डिविडेंड की कैलकुलेशन
दोस्तों अगर आप डिविडेंड पाने के लिए एलिजिबल है तो डिविडेंड की कैलकुलेशन करके आप पता लगा सकते है की आपको कितना डिविडेंड इनकम मिलने वाला है। आइए इसकी कैलकुलेशन समझते है-
दोस्तों डिविडेंड की कैलकुलेशन नीचे दिए गए फार्मूले से की जा सकती है-
डिविडेंड = शेयर प्राइस * डिविडेंड यील्ड * आपके शेयर की संख्या
यहां पर पहला शब्द शेयर की करेंट मार्केट प्राइस है।
दूसरा शब्द डिविडेंड यील्ड है जिसकी घोषणा कंपनी करती है।
तीसरा शब्द आपके पास कंपनी के शेयर की संख्या है।
इस तरह आप इन तीनों को गुणा करके यह पता कर सकते है की आपको कितना डिविडेंड मिलने वाला है। हम आशा करते है की यह सिंपल सी कैलकुलेशन आपको समझ आई होगी। आइए आगे बढ़ते है।
आने वाले डिविडेंड कैसे चेक करे | Check Upcoming Dividends
दोस्तों अगर आप भी शेयर में इन्वेस्ट करके डिविडेंड इनकम कमाना चाहते है तो आपको पता होना चाइए की कंपनी कब डिविडेंड देने वाली है। वैसे तो यह जानने के कई तरीके है आप इसके बारे में न्यूज देख सकते है और अलग अलग कंपनियों की वेबसाइट चेक कर सकते है। लेकिन इस काम में बहुत समय लगता है और मुश्किल काम है।
लेकिन इसका एक सबसे बेस्ट तरीका है की आप NSE की वेबसाइट पर यह डाटा चेक कर सकते है। इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करे और आप सही पेज पर पहुंच जायेंगे।
इस पेज पर आपको Corporate Action का एक सेक्शन दिखाई देगा। जहां पर उन सभी कंपनियों के नाम की लिस्ट होगी जो की आने वाले समय में डिविडेंड देने वाली है। इसके साथ ही यहां पर आपको रिकार्ड डेट और Ex डेट भी मिल जायेगी ताकि आप सही समय पर शेयर खरीद सके और डिविडेंड का लाभ कमा सके।
डिविडेंड देने का शेयर प्राइस पर प्रभाव
दोस्तों किसी भी कंपनी के लिए डिविडेंड देना बहुत बड़ी न्यूज होती है और शेयर मार्केट में हर तरह की न्यूज का कम्पनी के शेयर की प्राइस पर असर पड़ता है। इसी तरह जब कोई कंपनी डिविडेंड देने का एलान करती है तो उसका भी शेयर प्राइस पर असर पड़ता है। आइए जानते है की जब कोई कंपनी डिविडेंड देना चाहती है तो उसकी शेयर प्राइस पर क्या असर पड़ता है।
जब कोई कंपनी डिविडेंड देने की घोषणा करती है तो ये एक अच्छी न्यूज मानी जाती है और इससे पता चलता है की कंपनी की फाइनेंशियल स्तिथि अच्छी है और वो प्रॉफिट कमा रही है। इस न्यूज से बड़े बड़े इन्वेस्टर और रिटेल ट्रेडर कंपनी की और आकर्षित होते है तथा इसके साथ ही जो व्यक्ति डिविडेंड कमाना चाहते है वो भी कम्पनी की और आकर्षित होते है। इससे कंपनी के शेयर की डिमांड बढ़ने लगती है और इससे शेयर की प्राइस भी बढ़ने लगती है।
लेकिन कंपनी डिविडेंड के एलान के साथ ही Ex डेट की भी घोषणा करती है की Ex डेट के बाद शेयर खरीदने वाले लोगों को डिविडेंड नही दिया जाएगा। इस वजह से Ex डेट के बाद कंपनी के शेयर की डिमांड घट जाती है और जिन लोगों ने केवल डिविडेंड कमाने के लिए शेयर खरीदे थे, वे वापस शेयर को बेचने लगते है। इस वजह से शेयर की सप्लाई बढ़ जाती है और डिमांड कम हो जाती है। इस वजह से शेयर की प्राइस गिरने लगती है।
इस तरह अधिकतर केश में कंपनी के डिविडेंड अनाउंस करने की डेट के बाद शेयर की प्राइस बढ़ने लगती है और Ex डेट के बाद शेयर की प्राइस ने थोड़ी गिरावट देखी जाती है।
इस तरह जब कोई कंपनी डिविडेंड देती है तो यहां बताए अनुसार शेयर की प्राइस पर असर पड़ता है।
भारत में डिविडेंड देने वाली कंपनियों की लिस्ट
दोस्तों अगर आप भी रेगुलर इनकम कमाने का रास्ता खोज रहे है तो आप डिविडेंड स्टॉक में इन्वेस्ट कर सकते है। भारत में ऐसी कई कम्पनियाँ है जो की रेगुलर तौर पर अपने शेयर होल्डर्स को डिविडेंड देती है। अगर आप इनकी न्यूज़ देखते है और इनके कॉर्पोरेट एक्शन पर नज़र रखते है तो Ex डेट से पहले इन कंपनियों में इन्वेस्ट करके डिविडेंड का फायदा उठा सकते है।
यहाँ पर हम आपको 10 ऐसी कंपनियों की लिस्ट दे रहे है जो की साल में कम से कम 1 बार तो डिविडेंड जरूर देती है। इनमे से बहुत सी कंपनियां 1 साल में 2 से 3 बार भी डिविडेंड देती है। आइये इनके बारे में जानते है-
- Coal India
- Oil India
- ITC
- Vedanta Group
- Oil And Natural Gas Ltd (ONGC)
- Tata Communication Services (TCS)
- Hindustan Unilever Ltd (HUL)
- Bhansali Eng Polymers
- Southern Gas Ltd
- Power Grid Corporation of India
डिविडेंड स्टॉक में इन्वेस्ट करने के फायदे
दोस्तों वारेन बफेट हर साल अरबों रूपया केवल डिविडेंड से कमाते है जो की एक्स्ट्रा इनकम है। एक्स्ट्रा इनकम हर किसी व्यक्ति को आकर्षित करती है। उसी तरह डिविडेंड भी एक तरह की एक्स्ट्रा इनकम ही है।
यदि आप भी किसी डिविडेंड स्टॉक में इन्वेस्ट करते है तो आपको डिविडेंड तो मिलता ही है, इसके साथ ही इसके और भी फायदे है। आइए जानते है की डिविडेंड स्टोक में इन्वेस्ट करने के फायदों को समझते है-
1. डिविडेंड स्टॉक में इन्वेस्ट करने से आपको हर 4 महीने या 6 महीने पर डिविडेंड मिल जाता है, जिससे आपको एक तरह से रेगुलर इनकम मिलने लगती है। यह एक तरह से सैलरी की तरह ही होती है।
2. डिविडेंड स्टॉक में इन्वेस्ट करने से आपको डबल फायदा होता है, एक तो आपको समय पर डिविडेंड इनकम मिलती है और शेयर की प्राइस बढ़ने से भी फायदा मिलता है।
3. शेयर मार्केट में वो ही कंपनियां डिविडेंड देती है जो की रेगुलर तौर पर प्रॉफिट कमाती है। और रेगुलर रूप से प्रॉफिट कमाने वाली कंपनियों को स्थिर और सुरक्षित माना जाता है। इस तरह डिविडेंड स्टॉक में इन्वेस्ट करने से आपका पैसा भी सही और कम रिस्क वाली सुरक्षित कंपनियों में इन्वेस्ट होता है।
डिविडेंड स्टॉक में इन्वेस्ट करने के नुकसान
दोस्तों हर एक सिक्के के दो पहलु होते है, जैसे हर एक चीज के कुछ फायदे होते है उसी तरह कुछ नुकसान भी होते है। यह हमारी जिम्मेदारी बनती है की हम आपको डिविडेंड शेयर में इन्वेस्ट करने के फायदों के साथ साथ ही इसके कुछ कमियां या नुकसान के बारे में भी बताए। आइए इसकी कुछ कमियां जानते है-
1. दोस्तों अक्सर देखा जाता है की जब कोई कम्पनी डिविडेंड देती है तो उसकी शेयर प्राइस कम हो जाती है, इसलिए अगर आप डिविडेंड पाने के तुरंत बाद ही शेयर बेचने का फैसला करते है तो आपको नुकसान हो सकता है और रिटर्न कम मिल सकता है।
2. बहुत सी कंपनियों का बिजनेस तो अच्छा चलता है इसलिए वो प्रॉफिट कमाती है, लेकिन उनके पास इस पैसे को सही जगह इन्वेस्ट करने और बिजनेस को आगे बढ़ाने का कोई प्लान नहीं होता है। इस वजह से वो इसे डिविडेंड के रूप के बांट देती है और बहुत कम पैसा अपने पास रखती है। इस तरह अगर आप ऐसी कंपनी में इन्वेस्ट करना चाहते है जो की फ्यूचर में बहुत अच्छा परफॉर्म करे तो आपको डिविडेंड देने वाली कम्पनियों में इन्वेस्ट नही करना चाइए।
3. दोस्तों जैसा की हम आपको बता चुके है की किसी कम्पनी के लिए डिविडेंड देना जरूरी नहीं होता है, यह उनका खुद का फैसला होता है। इसलिए अगर आप किसी कंपनी में यह सोचकर इन्वेस्ट कर देते है की बाद में आपको डिविडेंड इनकम मिलेगी और अगर कंपनी ने डिविडेंड नहीं दिया तो आपको नुकसान हो सकता है।
इस तरह आप डिविडेंड के फायदे और नुकसान देखकर अपने हिसाब से पता कर सकते है की आपको डिविडेंड देने वाली कम्पनियों में इन्वेस्ट करना चाइए या नहीं करना चाइए।
FAQs
1. डिविडेंड पर कितना टैक्स लगता है?
डिविडेंड भी एक तरह की इनकम ही होती है, इस पर भी उतना ही टैक्स लगता है जितना आपकी इनकम पर लगता है। अगर आप साल भर में कुल मिलकर सभी जगह से 5 लाख से ज्यादा की इनकम करते है तो आपको इनकम टैक्स देना पड़ता है।
2. क्या सभी कंपनियां डिविडेंड देती है?
दोस्तों ऐसा नहीं है, शेयर मार्केट में सभी कंपनियां डिविडेंड नहीं देती है। बहुत सी कंपनियां अपने प्रॉफिट को वापस बिज़नेस में इन्वेस्ट करके उसे आगे बढाती है।
3. यह कैसे पता करे की कौनसी कंपनी डिविडेंड देने वाली है?
इसके लिए आप न्यूज़ पढ़ सकते है और रेगुलर तौर पर NSE की वेबसाइट को चेक कर सकते है, वहां पर आपको इसके बारे में जानकरी मिल जाएगी।
4. मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे डिविडेंड मिल गया है?
अगर आपको डिविडेंड मिला है तो आपका पैसा आपके बैंक अकाउंट या डीमैट अकाउंट में जमा किया जाता है, आप उसे जरूर चेक करे।
5. क्या डिविडेंड देने वाले शेयर में लॉन्ग टर्म के लिए इन्वेस्ट नहीं करना चाइये
दोस्तों ऐसा नहीं है, भारत में ऐसी बहुत सी कंपनियां है जिन्होंने पास्ट में डिविडेंड भी दिया है और लम्बे समय में अच्छा रिटर्न भी दिया है।
निष्कर्ष
दोस्तों हम आशा करते है की अब आपको समझ आ गया होगा की डिविडेंड क्या होता है और डिविडेंड पाने के लिए क्या क्या करना पड़ता है। इस आर्टिकल में हमने डिविडेंड से जुड़ी सभी जानकारी को आसान भाषा में समझाने की कोशिश की है, ताकि आप इसके बारे में जान सके और सही कंपनियों में इन्वेस्ट करके अच्छे पैसे कमा सके।
इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे ताकि वो भी डिविडेंड के बारे में जान सके।