शेयर मार्केट के 50 बेसिक शब्द | Share Market Basic Knowledge In Hindi

दोस्तों आज के समय में भारत में भी लोग शेयर मार्केट को लेकर जागरूक हो गए है और वो भी शेयर मार्केट में पैसे लगाना चाहते है। लेकिन उन्हें शेयर मार्केट के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है। वो सीखना तो चाहते है लेकिन उन्हें सही जानकारी नहीं मिल पाती है।

शेयर मार्केट एक बहुत बड़ा समुद्र है, यहां पर कई ऐसे जटिल शब्द है जिनका मतलब समझना थोड़ा मुश्किल होता है। दोस्तों अगर आप बिना इनका मतलब सीखे ही शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते है तो आपको नुकसान होने के चांस बढ़ जाते है। इसलिए सबसे पहले शेयर मार्केट के बारे में बेसिक बातें जानना बहुत ही जरूरी है।

बहुत से नए लोग डीमैट अकाउंट, स्टॉप लॉस, डिविडेंड, निफ्टी और बैंक निफ्टी जैसे बड़े बड़े शब्दों को सुनकर घबरा जाते है और सोचते है की शेयर मार्केट के बारे में सीखना बहुत मुश्किल काम है, लेकिन दोस्तों ऐसा नहीं है।

दोस्तों अगर आप भी अभी शेयर मार्केट में नए है और शेयर मार्केट से जुड़ी बेसिक जानकारी पाना चाहते है, तो आप बिल्कुल सही पोस्ट पढ़ रहे है।
आज की इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको शेयर मार्केट से जुड़ी ऐसे ही 50 बेसिक शब्दों (Share Market Basic Knowledge In Hindi) के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में जानने से आपकी शेयर मार्केट की नॉलेज बढ़ जाएगी जिससे आप सही कंपनियों में अपना पैसा इन्वेस्ट कर पाएंगे।

शेयर मार्केट से जुड़े 50 बेसिक शब्द | Share Market Basic Knowledge In Hindi

दोस्तों इस में हम आपको शेयर बाजार से जुड़े 50 बेसिक शब्दों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। ये सभी शब्द बहुत ही नॉर्मल है और अधिकतर इनका उपयोग शेयर मार्केट में और न्यूज में किया जाता है।

यदि आप इनके बारे में सीख जाते है तो आपकी शेयर मार्केट की अच्छी नॉलेज हो जायेगी और आप आगे चलकर कुछ एडवांस चीजें सीख सकते है। आइए बिना देरी के इनके बारे में जानना शुरू करते है।

1. शेयर

दोस्तों जब कोई व्यक्ति बड़ी कंपनी शुरू करता है तो इसके लिए बहुत सारे पैसों की जरूरत पड़ती है और इतने पैसे किसी के पास भी नहीं होते है। इसलिए कंपनी का मालिक अपनी कंपनी को छोटे छोटे टुकड़ों में बांट देता है, जिसे ही शेयर कहा जाता है।
जब आप किसी कंपनी के शेयर खरीद लेते है तो आप उसमे हिस्सेदार बन जाते है।

2. शेयर मार्केट

शेयर मार्केट वो जगह होती है जहां पर कोई भी व्यक्ति शेयर खरीद और बेच सकता है। लोग यहां पर पैसे देते है और शेयर खरीदते है।

3. बॉन्ड्स

बहुत सी बार छोटी कंपनियों को बैंक से लोन नहीं मिलता है, इसलिए वो आम पब्लिक से लोन लेते है। इसके लिए कंपनी बॉन्ड जारी करती है, कोई भी व्यक्ति इन बॉन्ड को पैसे देकर शेयर मार्केट से खरीद सकता है। जब लोन की शर्त पूरी हो जाती है तो कंपनी ब्याज के साथ आपका पैसा वापस लौटा देती है। कई बार भारत सरकार भी शेयर मार्केट में बॉन्ड जारी करती है और पब्लिक से लोन लेते है। सरकारी बॉन्ड सबसे सुरक्षित मानी जाते है, इनमे पैसा डूबने का खतरा नही होता है।

4. म्यूचुअल फंड

दोस्तों म्यूचुअल फंड एक ऐसी कंपनी होती है जो की कई लोगों से पैसा इकट्ठा करती है और इसे अलग अलग कंपनियों के शेयर और बॉन्ड में इन्वेस्ट करती है। म्यूचुअल फंड के पास रिसर्च करने के लिए बहुत बड़ी बड़ी टीम होती है और पढ़े लिखे मैनेजर होते है, जो की हर तरह से कंपनी के बारे में रिसर्च करके और उसका एनालिसिस करके उसमे पैसा इन्वेस्ट करते है।

इस तरह आपके पैसे को अलग अलग जगह पर इन्वेस्ट करने से रिस्क बहुत कम हो जाता है।
अगर आप अभी शेयर मार्केट में नए है और पैसे इन्वेस्ट करना चाहते है लेकिन आपको पता नही चल रहा है की किस कंपनी में इन्वेस्ट करे, और कहां पर आपका पैसा सुरक्षित रहेगा, तो आप म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर सकते है, वो आपके पैसे को रिसर्च करके अच्छे से अलग अलग कंपनियों में लगा देते है।

5. फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर

दोस्तों शेयर मार्केट एक बहुत बड़ा समुद्र है, यहां पर देश के लोगों के साथ साथ विदेशी लोग भी पैसा लगा सकते है। जब कोई विदेशी कंपनी, विदेशी बैंक और विदेशी म्यूचुअल फंड भारत के शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते है तो उन्हे FIIs कहा जाता है। यानी जब बाहर की कम्पनियां भारत में इन्वेस्ट करती है तो उन्हें FIIs कहते है। FIIs का फुल फॉर्म फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर होता है।

6. डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर

दोस्तों शेयर मार्केट में केवल आम व्यक्ति ही पैसा नही लगाते है, बल्कि हमारे देश के बड़े बड़े बैंक, बीमा कम्पनियां और बड़े बड़े म्यूचुअल फंड भी पैसा लगाते है, ये करोड़ों और अरबों रुपया एक साथ शेयर बाजार में निवेश करते है। देश के इन्ही बड़े बड़े संस्थानों को DIIs कहा जाता है। यानी जब देश की ही कम्पनियां देश में इन्वेस्ट करती है तो उन्हे DIIs कहा जाता है।

7. इन्वेस्टर

वो लोग जो की शेयर मार्केट में कुछ महीनो या सालों के लिए पैसा इन्वेस्ट करते है तो उन्हे इन्वेस्टर कहा जाता है। ये लोग किसी कंपनी के शेयर खरीदकर रख लेते है, और जब कुछ महीनो या सालों बाद उन शेयर का भाव बढ़ जाता है तो ये लोग उन्हें बेचकर पैसा कमाते है।

8. ट्रेडर

ट्रेडर वो लोग होते है जो की कंपनियों के शेयर को कम दाम पर खरीदते है और ऊंचे दामों पर बेच देते है।
ये लोग दिन भर बाजार पर नजर रखते है, की मार्केट में क्या चल रहा है। ये लोग बाजार में होने वाले उतार चढ़ाव पर नजर रखते है और उनसे प्रॉफिट कमाने की कोशिश करते है। दोस्तों ट्रेडिंग एक रिस्की काम होता है, इसके लिए बहुत ज्यादा नॉलेज और रिस्क मैनेजमेंट की जरूरत पड़ती है।

9. स्टॉप लॉस

स्टॉप लॉस शेयर मार्केट में बहुत ही शानदार सुरक्षा कवच है। यह नुकसान से बचने में मदद करता है। इसे एक उदाहरण से समझते है-

मान लीजिए आपने MRF कंपनी के शेयर को 100 रुपए में खरीदा है। अब आप चाहते है की जब शेयर का भाव नीचे जाए तो आपको ज्यादा नुकसान न हो, इसलिए आप 90 रुपए पर अपना स्टॉप लॉस लगा देते है, जिससे जब भी शेयर की प्राइस 90 रुपए पर आती है तो आपके शेयर ऑटोमैटिक ही बिक जाते है, आपको कुछ भी करने की जरूरत नहीं पड़ती है। इस तरह आप ज्यादा नुकसान से बच जाते है।
दोस्तों शेयर मार्केट सीखने वाले हर एक व्यक्ति को स्टॉप लॉस के बारे में पता होना चाइए, ये एक बहुत ही जरूरी कांसेप्ट है।

10. एक्सचेंज

यह शेयर मार्केट में वह जगह होती है जहां पर सुरक्षित तरीके से शेयर की खरीदी और बिक्री का काम होता है। भारत के शेयर मार्केट में NSE और BSE दो बड़े एक्सचेंज है जहां पर इस तरह का काम होता है।

11. NSE और BSE

NSE को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है जबकि BSE को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज कहा जाता है।
ये दोनो भारत देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज है जहां पर रोजाना कई कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते है। भारत के शेयर मार्केट में ज्यादातर लेन देन NSE और BSE के माध्यम से ही होता है। इसे आप शेयर बाजार में एक दुकान समझ सकते है जो की लोगों को अपने शेयर बेचने और खरीदने में मदद करती है।
BSE भारत का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है जो की सन 1875 में शुरू हुआ था जबकि NSE नया स्टॉक एक्सचेंज है जो की सन 1992 में शुरू हुआ था।

12. सेबी

सेबी को शेयर मार्केट की पुलिस और सरकार कहा जाता है जो की शेयर मार्केट में होने वाले सभी लेन देन पर नजर रखती है, की कहीं कुछ गलत तो नहीं हो रहा है, कहीं धोखाधड़ी तो नही हो रही है।
साथ ही सेबी शेयर मार्केट को और बेहतर बनाने के लिए नए नए नियम बनाती रहती है। यह भारत सरकार का एक डिपार्टमेंट है। SEBI को शेयर मार्केट का बॉस कहा जाता है जो की शेयर बाजार की सभी कम्पनियों पर नजर रखता है।
सेबी की स्थापना सन 1992 में की गई थी।

13. बुल मार्केट

जब शेयर मार्केट में तेजी होती है तो इसे बुल मार्केट कहा जाता है। यानी जब शेयर बाजार में अधिकतर कंपनियों केशर के दाम बढ़ रहे होते है तो इसे बुल मार्केट कहा जाता है। बुल मार्केट में अधिकतर लोग खरीददारी कर रहे होते है।

14. बियर मार्केट

जब शेयर मार्केट में मंदी चल रही होती है तो इसे बियर मार्केट कहा जाता है। यानी जब बड़ी बड़ी कंपनियों के शेयर के दाम गिर रहे होते है तो इसे बियर मार्केट कहा जाता है। बियर मार्केट में अधिकतर लोग बिकवाली कर रहे होते है।

15. साइडवेज मार्केट

जब शेयर बाजार एक रेंज में ही ऊपर और नीचे होता रहता है तो इसे साइडवेज मार्केट कहा जाता है। साइडवेज मार्केट में खरीदने वाले और बेचने वाले लोग लगभग बराबर होते है इसलिए मार्केट न तो उपर जाता है और न ही नीचे आता है।

16. डिविडेंड

दोस्तों जब शेयर मार्केट की कंपनियां बिजनेस करती है तो इससे उनको प्रॉफिट होता है, और अपने प्रॉफिट का कुछ हिस्सा वो शेयर होल्डर में बांट देती है, इसे ही डिविडेंड कहते है।
यह कोई जरूरी नहीं है की हर एक कंपनी को डिविडेंड देना ही पड़ेगा। कंपनी का मेनेजमेंट यह निर्णय लेते है की डिविडेंड देना है या नहीं देना है।
बहुत सी कंपनियां डिविडेंड नही देती है बल्कि वो अपने प्रॉफिट को वापस बिजनेस में इन्वेस्ट कर देती है।

17. पोर्टफोलियो

जब आप अलग अलग कंपनियों के शेयर खरीदते है, म्यूचुअल फंड खरीदते है या बॉन्ड खरीदते है तो इस कलेक्शन को पोर्टफोलियो कहा जाता है।

18. इंडेक्स

दोस्तों शेयर मार्केट में हजारों कंपनियों होती है, किसी शेयर की कीमत बढ़ रही होती है तो किसी शेयर की कीमत घट रही होती है। लेकिन पूरा मार्केट कैसा चल रहा है ये जानना बहुत मुश्किल होता है। इसके लिए इंडेक्स बनाए जाते है।
आइए इंडेक्स को एक रीयल लाइफ उदाहरण से समझते है-

बचपन में हम सभी स्कूल गए है और हमने एग्जाम भी दिए है। एग्जाम में बहुत से सब्जेक्ट होते है, हमे किसी सब्जेक्ट में अच्छे नंबर मिलते है तो किसी में कम नंबर मिलते है। लेकिन एग्जाम में हमारी ओवरऑल परफॉर्मेंस कैसी है, ये देखने के लिए हम टोटल नम्बर देखते है, न की अलग अलग विषयों के नंबर देखते है।
उसी तरह शेयर मार्केट की ओवरऑल परफॉर्मेंस देखने के लिए इंडेक्स देखा जाता है। अगर इंडेक्स बढ़ रहा है तो शेयर मार्केट भी अच्छा चल रहा है और अगर इंडेक्स गिर रहा है तो शेयर मार्केट में प्रॉब्लम चल रही है।
भारत के शेयर बाजार में सेंसेक्स, निफ्टी और बैंक निफ्टी बड़े बड़े इंडेक्स है, इन्ही इंडेक्स को देखकर शेयर मार्केट का हाल चाल जाना जा सकता है।

19. चार्ट

शेयर मार्केट में कंपनी के शेयर का भाव हर समय बदलता रहता है, कभी बढ़ता है तो कभी घटता है। इस पूरे डाटा को एक ग्राफ में बदला जाता है तो इसे ही चार्ट कहते है।
अगर आपको किसी भी कम्पनी का चार्ट देखना हो तो आप इसे NSE या BSE की वेबसाइट पर जाकर देख सकते है।
आप किसी भी कंपनी के चार्ट को देखकर यह बता सकते है की किस समय पर इस शेयर का भाव क्या चल रहा था।
दोस्तों शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए चार्ट की बहुत भूमिका है, यह बहुत काम आते है।

20. निफ्टी

दोस्तों यदि आपने कभी शेयर मार्केट की न्यूज पढ़ी है या कभी लोगों को बातें करते सुना है तो आपने निफ्टी का नाम जरूर सुना होगा।
निफ्टी भारत के शेयर मार्केट का एक इंडेक्स है, जिसमे देश की टॉप 50 कंपनियों को शामिल किया गया है।

निफ्टी के उतार चढ़ाव से पूरे शेयर बाजार का रुझान समझा जा सकता है की देश की टॉप 50 कम्पनियों के क्या हाल चाल है और उनमें क्या चल रहा है। अगर निफ्टी इंडेक्स अच्छा चल रहा है तो कंपनियां अच्छा प्रदर्शन कर रही है और उनके शेयर बढ़ रहे है, वहीं पर यदि निफ्टी खराब चल रहा है तो इसका मतलब है की देश की टॉप 50 कंपनियां अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है और उनके शेयर गिर रहे है।

दोस्तों निफ्टी एक बहुत ही पावरफुल इंडेक्स है, इससे पता चलता है देश की अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है, क्या वो सही है या सरकार को कुछ कदम उठाने की जरूरत है। इसलिए जब भी निफ्टी गिरता है तो मार्केट में हंगामा सा मच जाता है और सरकार पर सवाल उठाए जाते है, इसलिए निफ्टी एक बहुत ही महत्वपूर्ण इंडेक्स है।

21. बैंक निफ्टी

दोस्तों बैंक निफ्टी भी निफ्टी की तरह ही एक इंडेक्स है। जिस तरह निफ्टी में देश की टॉप 50 कंपनियां शामिल है, उसी तरह बैंक निफ्टी में देश के सभी बैंकों को शामिल किया गया है।

दोस्तों बैंक किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के सबसे जरूरी हिस्से होते है, अगर बैंकों में ही हाल चाल अच्छे नहीं है और वो सही से बिजनेस नही कर पा रहे है तो इससे देश को बहुत नुकसान होता है, इसलिए बैंकों की परफॉर्मेंस को ट्रैक करना बहुत जरूरी है।

इसलिए बैंक निफ्टी में उतार और चढ़ाव से यह पता लगाया जा सकता है की देश के बैंकों में क्या चल रहा है। अगर बैंक निफ्टी इंडेक्स बढ़ रहा है तो इसका मतलब है देश के बैंकों के शेयर बढ़ रहे है और वो अच्छे से बिजनेस कर रहे है, वहीं पर यदि बैंक निफ्टी इंडेक्स घट रहा है तो इसका मतलब है बैंकों के बिजनेस में कुछ गडबड चल रही है।

22. बैलेंस शीट

दोस्तों शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने के लिए अच्छी अच्छी कंपनियां ढूंढनी पड़ती है, और इसके लिए रिसर्च करनी पड़ती है। इसके लिए बैलेंस शीट काम में आती है।

जिस तरह किसी भी व्यक्ति की मेडिकल रिपोर्ट देखकर यह पता लगाया जा सकता है की वो कितना स्वस्थ है और कितना मजबूत है, ठीक उसी तरह किसी कंपनी की बैलेंस शीट देखकर यह पता लगाया जा सकता है की कोई कंपनी आर्थिक रूप से कितनी मजबूत है।

किसी कंपनी की बैलेंस शीट में कई तरह की उपयोगी जानकारी होती है जैसे की – कंपनी पर कितना लोन है, कंपनी के पास कितनी प्रॉपर्टी और प्लांट है, कंपनी के पास कितना पैसा है, कंपनी कितना प्रॉफिट कमा रही है।

कंपनी की बैलेंस शीट को पढ़कर ही लोग उसके बारे में रिसर्च करते है और पता लगाते है की उन्हे उस कम्पनी में इन्वेस्ट करना चाइए या नहीं करना चाइए।

23. एनुअल रिपोर्ट

दोस्तों शेयर मार्केट में हजारों कंपनियां है। अगर आप किसी कंपनी में पैसे लगाना चाहते है तो आप उस कंपनी के बारे में रिसर्च कैसे करेंगे, यहां पर एनुअल रिपोर्ट काम आती है।

एनुअल रिपोर्ट किसी भी कंपनी का बायो डाटा होती है। एनुअल रिपोर्ट में कंपनी के बारे में हर तरह की जानकारी उपलब्ध होती है की कंपनी का बिजनेस मॉडल क्या है, कंपनी पैसा कैसे कमाती है, किस सेक्टर में काम करती है, उसके फ्यूचर प्लान क्या क्या है, कंपनी का मैनेजमेंट कैसा है और उनका एक्सपीरियंस क्या है।

जब लोग शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करते है तो उन्हे कंपनीयों के बारे में रिसर्च करनी पड़ती है इसलिए इस डाटा की जरूरत पड़ती है। लोग कंपनी की एनुअल रिपोर्ट पढ़कर ही कंपनी के बारे में हर तरह की जानकारी का पता लगाते है।

24. ब्रोकर

ब्रोकर को शेयर मार्केट में दलाल कहा जाता है। आपने प्रॉपर्टी के ब्रोकर देखे होंगे जो की दो पार्टियों को मिलाने का काम करते है, यह प्रॉपर्टी खरीदने वाले और प्रॉपर्टी बेचने वाले दोनो लोगों के बीच में डील करवाते है और कमीशन लेते है।

इसी तरह शेयर मार्केट में भी ब्रोकर होते है, यदि आप शेयर मार्केट में कोई शेयर बेचना चाहते है या खरीदना चाहते है तो ये ब्रोकर आपके शेयर को मार्केट तक पहुंचाते है।
भारत में कई फेमस ब्रोकर है जैसे की- Zerodha, Upstox, Groww, Angle One, Motilal Oswal, Kotak Securities आदि।

25. ब्रोकरेज

दोस्तों अभी हमने आपको ब्रोकर के बारे में बताया था, की ब्रोकर आपसे आर्डर लेते है और उन्हें स्टॉक एक्सचेंज तक पहुंचाते है और आपके लिए शेयर खरीदते और बेचते है। इस काम के लिए वो आपसे छोटी सी फीस लेते है, इसे ब्रोकरेज कहा जाता है।

जब आप कोई शेयर खरीदते है तो आपसे 20 रुपया लिया जाता है और जब उसे वापस बेचते है तो भी 20 रुपया लिया जाता है। दोस्तों यदि आप Zerodha की मदद से शेयर खरीदते है और उसे तुरंत उसी दिन न बेच कर किसी दुसरे दिन बेचते है तो आपसे ब्रोकरेज नहीं लिया जाता है, यानि आपके 40 रूपये बच जाते है।

26. स्केल्पिंग | Scalping

दोस्तों स्केल्पिंग ट्रेडिंग करने की एक टेक्नीक है, जिसमे ट्रेडर कुछ ही सेकंड या मिनट में शेयर खरीदते है और तुरंत ही वापस बेच देते है, इसे स्केल्पिंग कहा जाता है।
इन लोगों का ज्यादा बड़ा लक्ष्य नहीं होता है, ये बहुत अधिक मात्रा में हजारों या लाखों शेयर खरीदते है और जैसे ही शेयर का भाव 1 या 2 रुपया बढ़ जाता है तो तुरंत ही उसे बेचकर प्रॉफिट कमा लेते है।

27. आईपीओ | IPO

जब कोई प्राइवेट कंपनी पहली बार अपने शेयर आम जनता को बेचती है और मार्केट से पैसा उठाती है तो इसे IPO कहा जाता है।

दोस्तों अगर कोई भी कंपनी पूरे देश या दुनिया में बिजनेस करना चाहती है तो इसके लिए उसको नए नए प्लांट लगाने पड़ते है, महंगी मार्केटिंग करनी पड़ती है, नए नए लोगों को काम पर रखना पड़ता है और सैलरी देनी पड़ती है, इन सभी में बहुत पैसे की जरूरत पड़ती है। इसलिए कोई भी कम्पनी अपना IPO लाती है और अपने शेयर पब्लिक को बेचती है और पब्लिक इसके बदले में उन्हें पैसा देती है, जिससे वो अपना बिजनेस आगे बढ़ते है।

28. मार्केट कैप

दोस्तों अगर यह जानना हो की कोई कंपनी कितनी बड़ी है तो इसका पता मार्केट कैप से लगाया जाता है। मार्केट कैप से ही पता चलता है की किसी कंपनी की कीमत कितनी है।  इसे एक उदाहरण से समझते है-

मान लीजिए की शेयर मार्केट में किसी कंपनी के 10 करोड़ शेयर है, और हर एक शेयर की कीमत 100 रुपए है तो उसका मार्केट कैप 1000 करोड़ रुपए (10 करोड़ * 100 = 1000 करोड़) होगा।
भारत के शेयर मार्केट में मार्केट कैप के हिसाब से रिलायंस सबसे  बड़ी कंपनी है और इसका आज के समय में इसका मार्केट कैप 17 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। इसके बाद TCS और HDFC बैंक है।
जिन कंपनियों का मार्केट कैप ज्यादा होता है वो कंपनियां शेयर मार्केट में स्थिर और अच्छी मानी जाती है, इनमे इन्वेस्ट करने में कम रिस्क होता है।

29. SIP (Systematic Investment Plan)

यह शब्द म्यूचुअल फंड से जुड़ा हुआ है। SIP एक ऐसा सिस्टम है जिसके माध्यम से आप हर महीने एक फिक्स पैसा म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करते रहते है।

यह बिल्कुल मोबाइल रिचार्ज की तरह है, जैसे आप हर महीने कुछ पैसे देकर अपना मोबाइल रिचार्ज करवाते है। उसी तरह आप म्यूचुअल फंड में SIP कर सकते है, जिससे किसी फिक्स तारीख को ऑटोमैटिक ही वो पैसा आपके बैंक अकाउंट से कट जाता है और म्युचुअल फंड में लग जाता है।

ये तरीका उन लोगों के लिए बेस्ट है जो की नौकरी करते है और उन्हें हर महीने सैलरी मिलती है। जैसे ही उनके अकाउंट में सैलरी आती है, वैसे ही ऑटोमैटिक कुछ पैसा कटकर म्यूचुअल फंड में लग जाता है। इससे धीरे धीरे हर महीने वो कुछ न कुछ पैसा इन्वेस्ट करते रहते है, जो की बहुत अच्छी बात है।

30. लम्पसम | Lumpsum

यह शब्द भी म्युचुअल फंड से ही जुड़ा हुआ है, जब आप किसी म्यूचुअल फंड में हर महीने इन्वेस्ट न करके पूरा पैसा एक साथ ही इन्वेस्ट कर देते है, तो इस तरीके को Lumpsum कहा जाता है।

31. लिक्विडिटी

लिक्विडिटी का मतलब होता है की किसी कंपनी के शेयर को कितनी आसानी से बेचा जा सकता है।
जब किसी कंपनी के शेयर को खरीदने के लिए हजारों या लाखों लोग तैयार होते है तो आप उसे आसानी से किसी को भी बेच सकते है और अच्छा भाव ले सकते है और इसका मतलब है की उसकी लिक्विडिटी ज्यादा है।

अगर किसी कंपनी के शेयर को बहुत कम लोग खरीदना चाहते है तो उसे बेचने में बहुत प्रॉब्लम आती है और आपको अपनी मर्जी के हिसाब से सही भाव नहीं मिलता है और इसका मतलब है की उस शेयर की लिक्विडिटी कम है।

लोगों को ज्यादा लिक्विडिटी वाले शेयर में ही अपना पैसा इन्वेस्ट करना चाइए ताकि बाद में आप उसे आसानी से बेच सके और सही भाव प्राप्त कर सके।
जिन कंपनियों का मार्केट कैप ज्यादा होता है और जो बड़ी कंपनियां होती है उनमें लिक्विडिटी भी ज्यादा होती है, यानी उनके शेयर बहुत ही आसानी से खरीदे और बेचे जा सकते है। वहीं जिनका मार्केट कैप कम होता है उनमें लिक्विडिटी भी कम होती है।

32. बाय बैक

जब कोई कंपनी बाजार से खुद ही अपने शेयर वापस खरीद लेती है तो इसे बाय बैक कहा जाता है।
कभी कभी कंपनियां अपने शेयर का भाव बढ़ाने के लिए ऐसा करती है।

कई बार कंपनियों के पास बहुत सारा कैश पैसा इकट्ठा हो जाता है और उन्हें समझ नही आता है की इस पैसे का क्या करे तो भी वो बाय बैक से अपने शेयर वापस खरीद लेती है, इससे शेयर के दाम बढ़ने लगते है और शेयर होल्डर्स को फायदा होता है।

33. ब्लू चिप स्टॉक

जो कंपनियां कई सालों से बाजार में बनी रहती है, कई सालों से बिजनेस कर रही होती है उन्होंने अच्छा खासा नाम कमाया होता है, उन्हे ब्लू चिप स्टॉक कहा जाता है।
ब्लू चिप स्टॉक की कुछ खास बातें होती है जैसे की-
1. वो कई सालों से बिजनेस कर रहे है।
2. उनका मार्केट में एक दबदबा और नाम होता है
3. उनकी एक अलग ही प्रतिष्ठा और ब्रांड होता है
4. लोग उन पर भरोसा करते है।
5. उनके पास कई सालों का एक्सपीरिएंस होता है।
6. ये कंपनियां अपने अपने फील्ड में बेस्ट होती है।
भारत में कई ब्लू चिप कंपनियां है जैसे की – विप्रो, रिलाइंस, मारुति सुजुकी, एचडीएफसी बैंक, L&T आदि।

शेयर मार्केट में ब्लू चिप स्टॉक को कम रिस्की माना जाता है।

34. मार्केट ऑर्डर

दोस्तों शेयर मार्केट में शेयर खरीदने के लिए कई तरह के ऑर्डर होते है, मार्केट ऑर्डर भी उनमें से एक है।
मार्केट ऑर्डर का मतलब होता है की कोई भी व्यक्ति मार्केट में जो रेट चल रहा है उसी पर शेयर खरीदना चाहता है, वो किसी भी तरह का मोल भाव नहीं करना चाहता है। यह शेयर मार्केट का सबसे आसान ऑर्डर होता है।

35. लिमिट ऑर्डर

दोस्तों जैसा की हमने आपको बताया है की मार्केट में शेयर खरीदने के लिए कई तरह के ऑर्डर होते है, लिमिट ऑर्डर भी उनमें से एक है। जब आप किसी एक फिक्स रेट पर शेयर खरीदना चाहते है तो इसे लिमिट ऑर्डर कहा जाता है।
शेयर मार्केट में कीमत हमेशा ऊपर और नीचे होती रहती है, लेकिन अगर आप किसी एक फिक्स रेट पर ही शेयर लेना चाहते है तो आप लिमिट ऑर्डर लगाकर छोड़ देते है, इसके बाद भी शेयर का दाम उस रेट के आस पास आता है तो आपके शेयर ऑटोमैटिक ही बाय हो जाते है।

36. अपर सर्किट | Upper Circuit

दोस्तों शेयर मार्केट में हर एक शेयर की कीमतें ऊपर और नीचे होती रहती है, लेकिन बहुत सी बार किसी न्यूज के कारण शेयर की कीमत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है या घट जाती है, इसकी वजह से उस शेयर के मालिक को बहुत ज्यादा नुकसान हो सकता है, इसी से लोगों को बचाने के लिए सर्किट का उपयोग किया जाता है।

हर एक शेयर की एक उपर की लिमिट होती है, जिसके ऊपर इसकी प्राइस नही जा सकती है और ऐसे ही इसकी एक नीचे की लिमिट होती है, जिसके नीचे इसकी प्राइस नही जा सकती है।
जब शेयर की प्राइस इसकी ऊपर की लिमिट के पास पहुंच जाती है, तो उसमे Upper Circuit लग जाता है और स्टॉक एक्सचेंज के द्वारा इस शेयर का लेन देन बंद कर दिया जाता है। इसका मतलब है की सर्किट लगने के बाद ना तो आप किसी शेयर को बेच सकते है और ना ही खरीद सकते है।

37. लोअर सर्किट | Lower Circuit

जब किसी शेयर की कीमत इसकी नीचे की लिमिट के आस पास पहुंच जाती है, तो इसमें Lower Circuit लग जाता है। लोअर सर्किट लगने के बाद भी इस शेयर में लेन देन बंद कर दिया जाता है।

38. शॉर्ट सेलिंग

दोस्तों आप शेयर मार्केट में क्या करते है, यदि आपको लगता है की किसी शेयर का दाम बढ़ सकता है तो आप इसे कम रेट में खरीद लेते है और बाद में जब इसका दाम बढ़ जाता है तो इसे बेच देते है और प्रॉफिट कमा लेते है।

लेकिन शॉर्ट सेलिंग इसका उल्टा होता है। जब आपको लगता है की किसी शेयर का दाम गिर सकता है, तो आप पहले ऊंचे दाम पर उस शेयर को बेच देते है, और बाद में जब इसकी रेट नीचे आ जाती है तो इसे कम दाम पर वापस खरीद लेते है, और प्रॉफिट कमाते है, इसे ही शॉर्ट सेलिंग कहा जाता है। शॉर्ट सेलिंग गिरते भाव से पैसा कमाने का तरीका है।

इस तरह लोग शेयर मार्केट में केवल भाव बढ़ने से ही पैसा नही कमाते है बल्कि शॉर्ट सेलिंग करके भाव गिरने से भी पैसा कमाते है।

39. पैनी स्टॉक

शेयर मार्केट में हर तरह के स्टॉक होते है, कुछ शेयर की कीमत हजारों रुपए होती है तो कुछ शेयर की कीमत कुछ पैसे ही होती है।
इसी तरह जिन शेयर की कीमत 10 रुपए से कम होती है उन्हे पैनी स्टॉक कहा जाता है। इन कंपनियों का मार्केट कैप भी बहुत कम होता है।

दोस्तों पैनी स्टॉक में इन्वेस्ट करना बहुत ज्यादा रिस्की होता है, क्योंकि इनकी रेट बहुत कम होती है, इसलिए इनमे बड़ा पैसा डालकर आसानी से हेर फेर की जा सकती है, बिना मतलब ही इनका भाव बढ़ाया और घटाया जा सकता है, जिससे लोगों को बहुत नुकसान होता है।
साथ ही पैनी स्टॉक में कभी भी सर्किट लग जाता है, इस वजह से इनको बेचना भी बहुत मुश्किल होता है। इसलिए नए लोगों को हमेशा पैनी स्टॉक से दूर रहना चाइए।

40. डीमैट अकाउंट

यह एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक खाता होता है, जहाँ पर आप अपने द्वारा खरीदे गए शेयर को रख सकते है। इसे आप एक तरह से बैंक अकाउंट की तरह समझ सकते है, जिस तरह आप अपने बैंक अकाउंट में पैसे रख सकते है उसी तरह डीमैट अकाउंट में कंपनियों के शेयर रख सकते है। शेयर मार्केट में लेन देन करने और शेयर खरीदने और बेचने के लिए डीमैट अकाउंट का होना ज़रूरी है, इसके बिना आप शेयर मार्केट में कुछ भी नहीं कर सकते है।

इसके लिए आप किसी भी ब्रोकर के पास ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खुलवा सकते है, आज के समय में Upstox सबसे बेस्ट है, क्योंकि यहाँ पर फ्री में डीमैट अकाउंट खोल सकते है और यह सर्विस भी बहुत अच्छी देता है।

यदि आप डीमैट अकाउंट के बारे में विस्तार से जानना चाहते है की यह क्या होता है, कैसे खुलवाया जाता है, किन किन डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ती है और डीमैट अकाउंट खुलवाते समय किन किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है, तो हमने इस पर एक डिटेल पोस्ट लिखी है, आप उसे ‘ डीमैट अकाउंट क्या होता है ‘ पर जाकर पढ़ सकते है।

41. प्रमोटर्स

दोस्तों यदि आप शेयर मार्केट के बारे में न्यूज़ पढ़ेंगे तो आपको ‘ प्रमोटर्स ‘ शब्द बहुत सी बार सुनने को मिलेगा।  आइये इसके बारे में जानते है-

प्रमोटर वो लोग होते है जो की कंपनी की शुरुआत करते है, शुरू में इसमें पैसा लगाते है और इसे आगे बढ़ने में मदद करते है। प्रमोटर्स अपनी कंपनी के लिए बहुत ही बड़े बड़े फैसले लेते है ताकि कंपनी का बिज़नेस आगे बढ़ सके।

42. कम्पाउंडिंग

दोस्तों कम्पाउंडिंग एक बहुत ही गज़ब का शब्द है इसे दुनिया का आठवां अजूबा कहा जाता है।  शेयर मार्केट में आपको यह बहुत सी बार सुनने को मिलेगा। कम्पाउंडिंग को ‘ ब्याज पर ब्याज ‘ कहा जाता है। आइये इसे एक उदाहरण से समझते है –

माना की आपने 10 हज़ार रूपये इन्वेस्ट किये है और आप एक साल में 10 परसेंट रिटर्न कमाते है।
इस तरह पहले साल में आपके पास 11 हज़ार रूपये (10 हज़ार मूल और 1 हज़ार ब्याज) बन जायेंगे, अब कम्पाउंडिंग का जादू दुसरे साल से शुरू होगा।
दुसरे साल में आप 10 हज़ार पर तो ब्याज कमाएंगे ही, इसके साथ ही पिछले साल जो 1 हज़ार ब्याज कमाया था उस पर भी ब्याज मिलेगा, इस तरह दुसरे साल आपके पास 12100 रूपये (10 हज़ार मूल + 1 हज़ार ब्याज + 100 रूपये ब्याज पर ब्याज)  हो जायेंगे। और इस तरह यह जादू चलता ही जायेगा और आप हर साल ब्याज पर ब्याज कमाते रहेंगे।

43. स्टॉक स्प्लिट

दोस्तों कभी कभी शेयर मार्केट में किसी कंपनी के शेयर की कीमत इतनी ज्यादा बढ़ जाती है की छोटे इन्वेस्टर उसे नही खरीद पाते है, और इससे शेयर की लिक्विडिटी कम हो जाती है। इसलिए अपने शेयर की लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कंपनी एक शेयर को कई हिस्सों में तोड़ देती है जिससे उसकी प्राइस कम हो जाती है और छोटे इन्वेस्टर भी उसे खरीद सकते है, इसे ही स्टॉक स्प्लिट कहा जाता है।

45. मर्जर | Merger

जब दो अलग अलग कंपनियां आपस में मिलकर एक नई कंपनी बन जाती है तो इसे विलय (Merger) कहा जाता है। अगर इसे एक उदाहरण से समझे तो वोडाफोन और आइडिया दोनो मिलकर एक नई कंपनी VI बन गई थी। 2018 में फ्लिपकार्ट और वालमार्ट भी आपस में मिल गई थी।

दो कंपनियां आपस में इसलिए मिल जाती है ताकि-
1. दोनो मिलकर बड़ी कंपनी बन जाती है और मार्केट में उनका दबदबा बढ़ जाता है।
2. दोनो कंपनियां मिल जाने से उनकी क्षमता बढ़ जाता है और वो कम कीमत में सामान बनाकर बेच सकती है और इससे उनका प्रॉफिट भी बढ़ जाता है।
3. बहुत सी बार यदि कोई कंपनी किसी दूसरे बिजनेस में जाना चाहती है तो वो उस फील्ड की कंपनी के साथ मिल जाती है, जिससे उसके लिए बिजनेस करना आसान हो जाता है।

46. अधिग्रहण | Aquisition

जब कोई बड़ी कंपनी किसी छोटी कंपनी को खरीद लेती है तो इस प्रक्रिया को Aquisition कहा जाता है। इसके कई कारण हो सकते है जैसे की-
1. कोई कंपनी किसी छोटी कंपनी को खरीदकर उसके प्रोडक्ट और कस्टमर तक पहुंच जाती है।
2. यदि किसी छोटी कंपनी के पास कोई खास टेक्नोलॉजी या एक्सपर्टीज है, जिससे बड़ी कंपनी को फायदा हो सकता है तो इसलिए भी वो उस कम्पनी को खरीद लेती है, ताकि बिजनेस में फायदा हो सके।
3. बहुत सी बार बड़ी बड़ी कंपनियां मार्केट से अपना कॉम्पिटिशन खत्म करने के लिए भी छोटी कंपनियों को खरीद लेते है ताकि उनके टक्कर में कोई न रहे और वो बहुत अच्छे से बिजनेस कर सके।

47. कॉर्पोरेट एक्शन | Corporate Action

शेयर मार्केट में कंपनियां कभी कभी ऐसे निर्णय लेती है जिससे उसके शेयर की कीमत पर प्रभाव पड़ता है, तो शेयर मार्केट की भाषा में इन्हे कॉरपोरेट एक्शन कहा जाता है। यह अच्छे और बुरे दोनों तरह के होते है।

कॉरपोरेट एक्शन कई तरह के हो सकते है जैसे की-
1. कंपनी ने डिविडेंड देने की घोषणा की है और यह एक अच्छी खबर होती है, इससे शेयर की कीमत बढ़ सकती है।
2. कंपनी अपने शेयर वापस बाय बैक करना चाहती है, यह भी एक अच्छी खबर है इससे भी शेयर की कीमत बढ़ सकती है।
3. अगर कंपनी की रिपोर्ट आती है और उसमे कंपनी को प्रॉफिट की जगह लॉस हो जाता है, तो ये एक बुरी खबर है और इससे शेयर की प्राइस गिर सकती है।

48. ओपन प्राइस | Open Price

जब सुबह शेयर मार्केट खुलता है तो जिस कीमत पर कंपनी का पहला शेयर खरीदा या बेचा जाता है उसे शेयर का ओपन प्राइस कहा जाता है।

49. क्लोज प्राइस | Close Price

दिन के समय जब मार्केट बंद होने वाला होता है तो जिस कीमत पर कंपनी का आखिरी शेयर खरीदा या बेचा जाता है उसे शेयर का क्लोजिंग प्राइस कहा जाता है।

50. फ्यूचर और ऑप्शन

फ्यूचर और ऑप्शन शेयर मार्केट में कांट्रेक्ट होते है जहां पर आप  भविष्य में किसी शेयर को एक फिक्स तारीख पर एक फिक्स रेट में बेचने या खरीदने का कॉन्ट्रैक्ट करते है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते है-

मान लीजिए की आप कोई प्रॉपर्टी खरीदना चाहते है लेकिन अभी आपके पास पैसे नहीं है और आप इसे भविष्य में खरीदने का सोचते है। इसलिए आप प्रॉपर्टी के मालिक से कॉन्ट्रैक्ट कर लेते है की आप 6 महीने बाद इस प्रॉपर्टी को 10 लाख में खरीदेंगे। इसके बाद 6 महीने के बाद इस प्रॉपर्टी का रेट घट गया हो, या बढ़ गया हो, लेकिन आपको उसे 10 लाख में ही खरीदना पड़ेगा, क्योंकि आपने इसका कॉन्ट्रैक्ट किया है।
इसी तरह शेयर मार्केट में इस तरह की डील करने के लिए फ्यूचर और ऑप्शन का उपयोग किया जाता है।

निष्कर्ष

दोस्तों हम आशा करते है की शेयर मार्केट की बेसिक नॉलेज से जुड़े ये सभी शब्द आपको समझ आए होंगे। हमने इन सभी को बहुत ही आसान शब्दों में समझाने की कोशिश की है।

दोस्तों बहुत से नए लोग शेयर मार्केट में अपना करियर बनाना चाहते है लेकिन उन्हें समझ नही आता है की शेयर मार्केट कैसे सीखे और वो शेयर बाजार के बड़े बड़े शब्दों के बारे में सुनकर कन्फ्यूज हो जाते है। लेकिन अब आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप इस पोस्ट को ध्यान से पढ़े, जिससे आप शेयर मार्केट की बेसिक नॉलेज अच्छी हो जायेगी और इससे आपको आगे एडवांस चीजें सीखने में मदद मिलेगी।

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