दोस्तों अगर आप भी जानना चाहते है की शेयर मार्केट में स्टॉप लॉस क्या होता है और इसका उपयोग कैसे किया जाता है तो आप बिल्कुल सही आर्टिकल पढ़ रहे है।
दोस्तों शेयर मार्केट में हमेशा कुछ न कुछ रिस्क होता है और इसीलिए कहा जाता है की यदि आपको शेयर मार्केट में सफल होना है तो आपको रिस्क मैनेजमेंट करना होगा, और स्टॉप लॉस भी रिस्क मैनेजमेंट करने का एक अच्छा तरीका है।
स्टॉप लॉस का सही उपयोग आपको शेयर मार्केट में न केवल बड़े नुकसान से बचा सकता है बल्कि इसका सही तरीके से उपयोग करके आप एक सफल ट्रेडर और इन्वेस्टर बन सकते है। स्टॉप लॉस एक ऐसा टूल है जो की आपको इमोशनल ट्रेडिंग से बचाता है और किसी भी ट्रेड से सही समय पर निकलने में मदद करता है।
आज की इस ब्लॉग पोस्ट में हम आपको स्टॉप लॉस से जुड़ी सभी तरह की जानकारी देंगे। साथ ही यह भी बताएंगे की स्टॉप लॉस कितनी तरह का होता है और स्टॉप लॉस लगाना क्यों जरूरी है। यह कांसेप्ट आपको अच्छे से समझ आए, इसलिए सभी चीजों को उदाहरण के साथ समझाया गया है। आइए इनके बारे में जानते है-
स्टॉप लॉस क्या होता है | Stop Loss Meaning In Hindi
दोस्तों शेयर मार्केट में रोजाना लाखों लोग शेयर खरीदते और बेचते है। इससे रोजाना शेयर की प्राइस घटती और बढ़ती रहती है। इस वजह से हर एक ट्रेडर और इन्वेस्टर को डर लगा रहता है की कहीं उसके शेयर की प्राइस ज्यादा न गिर जाए और उसे ज्यादा नुकसान न हो जाए।
इस स्तिथि में स्टॉप लॉस काम आता है। स्टॉप लॉस एक तरह का सुरक्षा कवच होता है जो की शेयर मार्केट में आपको भारी नुकसान होने से बचाता है और आपके रिस्क को कम कर देता है। आइए इसे एक उदाहरण की मदद से समझते है-
मान लीजिए की आपने किसी कंपनी के शेयर 100 रुपए के भाव में खरीदे है। अब रोजाना ही इस कंपनी के शेयर प्राइस घटती और बढ़ती रहती है। आप कुछ और काम भी करते है इस वजह से दिन भर बैठकर मार्केट को नही देख सकते है और इस वजह से आपको डर है की शेयर की प्राइस ज्यादा ना गिर जाए और ज्यादा नुकसान न हो जाए। आपकी रिस्क लेने की क्षमता ज्यादा नहीं है और आप एक शेयर पर ज्यादा से ज्यादा 5 रुपए का नुकसान उठा सकते है।
इस स्तिथि में आप 95 रुपए पर अपना स्टॉप लॉस सेट कर देते है। अब आपका डर खत्म हो जाता है और अब यदि शेयर की प्राइस गिरती है और 95 रुपए पर आ जाती है तो आपका स्टॉप लॉस एक्टिवेट हो जायेगा और आपके शेयर ऑटोमैटिक ही बिक जायेंगे। इससे आपको एक शेयर पर केवल 5 रुपए का ही नुकसान होगा, भले ही अब शेयर की प्राइस कितनी भी गिर जाए।
इस तरह स्टॉप लॉस आपको शेयर मार्केट में ज्यादा नुकसान होने से बचाता है। इसका उपयोग ट्रेडर और इन्वेस्टर दोनो के द्वारा किया जाता है।
स्टॉप लॉस लगाना क्यों जरूरी है
दोस्तों शेयर बाजार में हमेशा कुछ न कुछ रिस्क तो होता ही है। बहुत सी बार शेयर की प्राइस हमारी रिसर्च के हिसाब से नही चलती है। बहुत सी बार किसी न्यूज या इवेंट की वजह से शेयर की प्राइस अचानक से गिर जाती है। इस जगह पर स्टॉप लॉस हमे भारी नुकसान होने से बचाता है। इस तरह स्टॉप लॉस शेयर मार्केट में बहुत सी जगह हमारी मदद करता है। आइए जानते है की स्टॉप लॉस का उपयोग करना क्यों जरूरी होता है।
1. स्टॉप लॉस लगाकर आप अपने नुकसान को लिमिट कर सकते है। अगर शेयर की प्राइस आपके हिसाब से नही चलती है तो आपको केवल लिमिटेड नुकसान होता है।
2. स्टॉप लॉस उपयोग करने का दूसरा सबसे बड़ा फायदा है की यह इमोशन से बचने में हमारी मदद करता है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते है-
दोस्तों हम सभी एक इंसान है और हर एक इंसान के अंदर फीलिंग होती है। बहुत सी बार यह फीलिंग भी हमे शेयर मार्केट में नुकसान करवा देती है। जब भी किसी शेयर की प्राइस नीचे जाने लगती है और हमे नुकसान होने लगता है तो हमारे अंदर फीलिंग आ जाती है और हमारा दिमाग सोचने लगता है की कुछ देर और रुक जाते है उसके बाद शेयर की प्राइस वापस बढ़ जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं होता है और इस चक्कर में हमे बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है।
इसलिए अगर आप पहले की स्टॉप लॉस का उपयोग कर लेते है तो आप भावनात्मक ट्रेडिंग से बच सकते है और अपने आप को बड़ा नुकसान होने से बचा सकते है।
3. स्टॉप लॉस हमे रिस्क मैनेजमेंट करने में मदद करता है। दोस्तों यदि आप शेयर मार्केट में एक सफल इन्वेस्टर या ट्रेडर बनना चाहते है तो आपको हमेशा रिस्क मैनेजमेंट करना चाइए और अपनी लिमिट से ज्यादा रिस्क कभी नहीं लेना चाइए। तब जाकर ही आप सफल बन सकते है। इस तरह स्टॉप लॉस आपको रिस्क मैनेजमेंट करने में मदद करता है।
इस तरह शेयर मार्केट में हर एक व्यक्ति को स्टॉप लॉस का उपयोग करना चाइए, यह कई तरीकों से हमारे पैसे की सुरक्षा करता है।
ट्रिगर प्राइस क्या होता है | Trigger Price Meaning in Hindi
दोस्तों जब भी हमें शेयर मार्केट में स्टॉप लॉस लगाना होता है तो हम एक स्टॉप लॉस ऑर्डर लगाते है और इस स्टॉप लॉस ऑर्डर में हमे एक ट्रिगर प्राइस भी लगाना पड़ता है। जो की इस ऑर्डर को एक्टिवेट करने के काम में आता है।
जैसे की शेयर का प्राइस ट्रिगर प्राइस के पास आता है तो आपके स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्टिव हो जाता है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते है-
मान लीजिए की आपने किसी शेयर को 100 रुपए के भाव पर खरीदा है और आप एक शेयर पर अधिकतम 5 रुपए का लॉस ले सकते है तो आप 95 रुपए पर एक स्टॉप लॉस ऑर्डर लगाएंगे जिसमे ट्रिगर प्राइस को 96 रूपए रखेंगे। इसका मतलब है की जैसे ही शेयर का प्राइस 100 रुपए से घटते हुए 96 ( ट्रिगर प्राइस ) पर आएगा तो आपके स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्टिव हो जायेगा और जैसे ही प्राइस 95 पर आएगा तो आपके शेयर ऑटोमैटिक बेच दिए जायेंगे।
इस तरह ट्रिगर प्राइस हमारे स्टॉप लॉस ऑर्डर को एक्टिवेट करने के काम आता है।
स्टॉप लॉस के प्रकार
दोस्तों स्टॉप लॉस 2 तरह के होते है। आप अपने शेयर को मार्केट भाव पर भी बेच सकते है और एक फिक्स रेट पर भी बेच सकते है। आइए दोनो प्रकार के बारे में जानते है-
1. स्टॉप लॉस मार्केट ऑर्डर
स्टॉप लॉस मार्केट ऑर्डर का मतलब होता है की जैसे ही शेयर की कीमत स्टॉप लॉस के पास आती है तो आपके शेयर मार्केट भाव पर ऑटोमैटिक ही बिक जाते है। यानी मार्केट में जो भी करंट भाव चल रहा होगा उस पर आपके शेयर बेच दिए जायेंगे। स्टॉप लॉस मार्केट ऑर्डर बहुत तेज़ी से काम करता है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते है-
मान लीजिए की आपने किसी कम्पनी के शेयर को 100 रुपए के भाव पर खरीदा है और आप ज्यादा से ज्यादा 4 रूपए का नुकसान उठा सकते है। इसके लिए आप 96 रुपए पर अपना स्टॉप लॉस लगा देते है और ट्रिगर प्राइस भी 96 रुपए ही लगा देते है। इसका मतलब है की जैसे ही शेयर की कीमत घटती हुई 96 रुपए पर आती है तो आपका स्टॉप ऑर्डर एक्टिव हो जायेगा और उस टाइम मार्केट में जो भी भाव चल रहा होगा, उस पर आपके शेयर बेच दिए जायेंगे।
इस तरह स्टॉप लॉस मार्केट ऑर्डर काम करता है।
2. स्टॉप लॉस लिमिट ऑर्डर
दोस्तों स्टॉप लॉस लिमिट ऑर्डर में आपको लिमिट लगाने का ऑप्शन मिलता है, इसका मतलब है की आप किस रेट पर अपने शेयर बेचना चाहते है यह सेट कर सकते है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते है।
मान लीजिए की आपने किसी कम्पनी के शेयर को 50 रुपए के भाव पर खरीदा है। अब आप स्टॉप लॉस लगाना चाहते है। इसके लिए आप 46 रुपए पर ट्रिगर प्राइस सेट कर देते है और लिमिट प्राइस 45 पर सेट कर देते है। इसका मतलब है की जैसे ही शेयर का भाव गिरते गिरते 46 रुपए पर आएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्टिवेट हो जायेगा लेकिन ऑर्डर एक्टिवेट होने पर भी अभी आपके शेयर बेचे नही जाएंगे। इसके बाद अगर शेयर का प्राइस गिरकर 45 पर आता है, तब आपके शेयर 45 रुपए पर बेचे जाएंगे।
इस तरह स्टॉप लॉस लिमिट ऑर्डर लगाकर आप खुद निर्णय ले सकते है की आपको अपने शेयर किस प्राइस पर बेचने है।
ट्रेलिंग स्टॉप लॉस क्या होता है | Trailing Stop Loss In Hindi
दोस्तों ट्रेलिंग स्टॉप लॉस एक स्मार्ट स्टॉप लॉस ऑर्डर है जो की शेयर की प्राइस के हिसाब से ऑटोमैटिक अपने आप को एडजस्ट कर लेता है। आइए इसे एक उदाहरण से समझते है-
मान लीजिए की आपने किसी कम्पनी के शेयर को 100 रुपए के भाव पर खरीदा है। अब आप अधिकतम एक शेयर पर 3 रुपए का नुकसान उठा सकते है, इसलिए आप 97 पर अपना स्टॉप लॉस लगा देते है। अब शेयर की प्राइस 100 रुपए से बढ़कर 110 रुपए पर चली जाती है और उसके बाद वापस घटकर 97 पर आ जाती है और आपके स्टॉप लॉस को हिट कर देती है।
अब इस स्तिथि में आप देख सकते है की शेयर की प्राइस 110 पर चली गई थी और आपको 10 रुपए का फायदा हो रहा था, लेकिन प्राइस वापस गिरने की वजह से आपको नुकसान हो गया। इस स्तिथि में नुकसान से बचने के लिए ट्रैलिंग स्टॉप लॉस काम में आता है।
ट्रेलिंग स्टॉप लॉस में जैसे जैसे शेयर की प्राइस बढ़ती जाती है वैसे वैसे ही आपका स्टॉप लॉस भी ऊपर की और बढ़ता जाता है। यानी अगर शेयर की प्राइस 5% बढ़ जाती है तो आपका स्टॉप लॉस भी 5% से बढ़ जायेगा। आइए इसे एक उदाहरण से समझते है।
मान लीजिए की आपने ABC कम्पनी के शेयर को 100 रुपए पर खरीदा है और आप अपना ट्रेलिंग स्टॉप लॉस 95 पर लगा देते है। अब शेयर की प्राइस 100 रुपए से बढ़कर 105 हो जाती है तो ऑटोमैटिक ही आपका स्टॉप लॉस 95 रुपए से बढ़कर 100 रुपए पर आ जाएगा। अब अगर शेयर की प्राइस 105 से बढ़कर 110 पर चली जाती है तो स्टॉप लॉस भी 100 से बढ़कर 105 पर चला जायेगा। और अब शेयर की प्राइस 110 से गिरकर 105 पर आती है तो इस स्थिति में आपका स्टॉप लॉस कम नहीं होगा और एक्टिवेट हो जायेगा और आपके शेयर 105 पर बेच दिए जायेंगे।
इस तरह ट्रेलिंग स्टॉप लॉस शेयर की बढ़ती हुई प्राइस के हिसाब से ऑटोमैटिक ही एडजस्ट हो जाता है और आपको ज्यादा से ज्यादा फायदा और कम से कम नुकसान दिलाने में मदद करता है।
दोस्तों शुरुआत में ट्रेलिंग स्टॉप लॉस को समझना थोड़ा मुश्किल लग सकता है लेकिन शेयर मार्केट में यह एक बहुत ही पावरफुल टूल है, जिसके बारे में आपको जरूर सीखना चाइए।
FAQs
1. क्या हम स्टॉप लॉस और टारगेट को एक साथ रख सकते हैं?
जी हां दोस्तों, आप किसी भी ट्रेड में स्टॉप लॉस और टारगेट को एक साथ सेट कर सकते है। जहां भी पहले प्राइस जाता है वह ऑर्डर एक्जिक्यूट हो जाता है और दूसरा ऑर्डर ऑटोमैटिक कैंसल हो जाता है।
2. स्टॉप लॉस का उपयोग कब करना चाहिए?
दोस्तों जब भी आप ट्रेडिंग करे तो आपको हमेशा स्टॉप लॉस के साथ ट्रेडिंग करना चाइए। इसके अलावा आप इन्वेस्टिंग करने में में भी स्टॉप लॉस का उपयोग कर सकते है।
3. मुझे अपना स्टॉप लॉस कहां सेट करना चाहिए?
दोस्तों इसका कोई फिक्स जवाब नहीं है। सभी ट्रेडर अलग अलग तरीके से स्टॉप लॉस सेट करते है। बहुत से लोग चार्ट का टेक्निकल एनालिसिस करते है और सही केवल निकाल कर अपना स्टॉप लॉस सेट करते है। वहीं पर बहुत से लोग एक फिक्स परसेंट (जैसे की 2% या 5%) में अपने स्टॉप लॉस सेट कर देते है। इस तरह आप भी अपने रिस्क के हिसाब से और टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग करके सही जगह पर स्टॉप लॉस लगा सकते है।
निष्कर्ष
दोस्तों हम आशा करते है की अब आपको समझ आ गया होगा की शेयर मार्केट में स्टॉप लॉस क्या होता है और इसका उपयोग करना क्यों जरूरी है। इस आर्टिकल में हमने स्टॉप लॉस के टॉपिक को बहुत ही आसान शब्दों में और उदाहरण के साथ समझाने की कोशिश की है।
यदि आप अपने ट्रेडिंग से ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट लेना चाहते है तो आपको ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग जरूर करना चाइए, यह एक बहुत ही स्मार्ट तरीका है जिसे कई बड़े बड़े ट्रेडर उपयोग करते है।
यह आर्टिकल आपको कैसा लगा इसके बारे में अपनी राय हमे कमेंट करके जरूर बताएं।